वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कहानी:- 8:- चांद की सैर
वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कहानी:- 8:- चांद की सैर:-
रौनक हमेशा सपनों की दुनिया में खोया रहता था। उसके माता- पिता एवम बड़े- बुजुर्ग उसको कई बार समझाते कि केवल सपने देखने से कुछ नहीं होता, उन्हें साकार करने हेतु हमें प्रयास एवम श्रम भी करना होता है। परंतु, उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती।
एक दिन उसकी बड़ी बहन ने उसे सुधारने का एक तरीका सोचा। उसने एक मन- गढंत कहानी बनाई और उसे काम करने हेतु मना लिया। अब रौनक बाज़ार से सामान लाता तो उसे उसकी बहन कुछ रुपए देती। इस प्रकार उससे काम करवा कर उसने रौनक को काफी पैसे देने के पश्चात् कुछ महीने बाद उन्हें गिनने को कहा। जैसे ही रौनक ने पैसे गिने वह खुशी से उछल पड़ा। उसके पास काफी पैसे इकट्ठे हो चुके थे।
एक दिन रौनक की बड़ी बहन ने उससे कहा कि आज तो कोई काम नहीं है, तो वह चाहे तो अपना कमरा ठीक कर सकता है। इन कुछ महीनों में रौनक को काम करने की ऐसी आदत लगी कि उसने बोरियत से बचने के लिए पूरा कमरा चमका दिया। परंतु, वह थोड़ा उदास था। बड़ी बहन उसकी उदासी का कारण समझ गई और उसे कुछ पैसे पकड़ाते हुए बोली- "निराश होने की ज़रूरत नहीं है तुमने मेहनत की है और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।"
रौनक खुशी से उछला, अब तक उसके पास इतने पैसे पर्याप्त हो चुके थे, जिससे वह अपना चांद पर जाने का सपना पूरा कर सकता था। आज उसके पास ईमानदारी, योग्यता, कर्मठता के साथ- साथ आत्मविश्वास भी पर्याप्त था। अतः इन्हीं सबके बल पर उसका सलेक्शन ' नासा ' में हो गया। उसकी बड़ी बहन की सूझबूझ और समझदारी ने उसका जीवन बना दिया। कुछ ही महीनों बाद उसे चांद की सैर पर जाने का सुअवसर भी प्राप्त हो गया।
Gunjan Kamal
10-Mar-2022 06:31 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Swati Sharma
11-Mar-2022 09:22 PM
धन्यवाद
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Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 05:27 PM
बहुत बेहतरीन लघुकथा
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Swati Sharma
11-Mar-2022 09:22 PM
आपका हार्दिक आभार
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